Sunday, July 19, 2009

ढलती उम्र में अनोखा जज्बा

जांजगीर चंपा जिले के लोहर्सी गाँव में एक ऐसा अदम्य साहस वाला व्यक्ति रहता है, जिन्होंने ३३ बार जगन्नाथ पुरी की पैदल यात्रा की है। ढलती उम्र में भी उनका जज्बा देखते ही बनता है। उनका कहना है की वे जब तक जीवित रहेंगे, तब तक उनकी यात्रा जारी रहेगी। ऐसे ही शख्स हैं, बेदराम श्रीवास।
ग्राम लोहर्सी से जगन्नाथपुरी की दूरी सड़क मार्ग से करीब ६०० किमी है, वहीं दुर्गम रस्ते से जगन्नाथपुरी की दूरी ४०० किमी है। ६७ वर्षीय बेदराम श्रीवास जी ने अब तक इन्हीं दुर्गम रास्ते से ३३ बार यात्रा कर चुके हैं। अकेले होने पर वे १३ दिनों में पहुँचते हैं तथा साथ में कई लोगों के जाने से १८ से २० दिनों में यात्रा कर पाते हैं। जिस उम्र में लोग बहारों में आराम करना चाहते हैं, या फिर बीमारी उनको चपेट में ले लेती है। ऐसे हालात में बेदराम का जज्बा किसी मिसाल से कम नहीं है। भगवान् जगन्नाथ के प्रति उनकी आस्था देख कोई भी दांतों तले ऊँगली दबाने से नहीं चुकते। क्षेत्र में उनकी पैदल जगन्नाथपुरी की यात्रा सुनकर पहली मर्तबा हर कोई दंग रह जाता है। पाँव पर चप्पल जूता नहीं पहनते और यात्रा ऐसे रास्तों से करते हैं, जो काफी पथरीला है।
बेदराम श्रीवास जी साल में कभी एक बार तो कभी दो बार यात्रा पर निकलते हैं। इस तरह वे दशक भर से आस्था में डूबे हैं। बेदराम जी साथ में केवल खाना बनाने का सामान ही रखते हैं। लंबे समय से यात्रा में निकलने से रास्ते में पड़ने वाले गाँव के लोंगों से उनकी जान पहचान भी हो गई है। इस तरह उन्हें भक्ति भावः से लोग भोजन भी देते हैं।
बेदराम जी अपनी यात्रा लोहर्सी गाँव से शुरू करते हुए शिवरीनारायण होते हुए सारंगढ़ तथा बरगढ़ होते हुए संबलपुर पहुँचते हैं। इसके बाद वे दुर्गम रास्ते से होते हुए जगन्नाथ पुरी दर्शन के लिए पहुँचते हैं।
बेदराम जी भर से भी ज्यादा सक्षम नहीं हैं। बस उनका भगवान् जगन्नाथ जी के प्रति असीम श्रध्दा है। यही कारन है की वे आज भी अपने इस पुनीत कार्य में रमे हैं।
उनके भगवान् जगन्नाथ जी के प्रति आगाध आस्था को प्रणाम।