देष के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री के विचार और कार्य, निष्चित ही नई पीढ़ी के लिए आज भी प्रासंगिक हैं। उनके सद्कार्य को आगे बढ़ाने में अहम योगदान दे रहे हैं, जांजगीर-नैला के गोविंदराम सोनी। वे हर दिन पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी की पूजाकर अपनी श्रद्धांजलि प्रकट करते हैं और उनके उपवास के आह्वान को आत्मसात कर देष सेवा की भावना प्रकट की जाती है। यह सिलसिला पिछले 40 साल से जारी है, जिससे समझा जा सकता है कि गोविंदराम के अंतष पर शास्त्री जी के विचारों का किसकदर असर पड़ा है।
दरअसल, सन् 65 में जब भारत का पाकिस्तान से युद्ध हुआ, उस दौरान देष में अनाज की कमी हो गई थी। इस समय पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी ने देष के लोगों को हर सोमवार को उपवास करने का आह्वान किया, ताकि देष में अन्न की बचत हो और जिन लोगों को भोजन नहीं मिल रहा था, उन्हें भोजन मिल सके। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की यही बात, समाजसेवी गोविंदराम सोनी के मन में समा गई और उन्होंने भी उनके विचारों को समाज के हर वर्ग के लोगों को आगे बढ़ाने की दिषा में कार्य करना शुरू कर दिया।
जांजगीर-नैला में समाजसेवी गोविंदराम की समाजसेवा का बखान करना, एक तरह से सूरज को दीपक दिखाने जैसा ही होगा। वे कभी गरीब बच्चों को पढ़ाने में में रत नजर आते हैं तो गर्मी के दिनों में रेलवे स्टेषन में प्यासे यात्रियों को पानी पिलाकर उनकी प्यास बुझाने में रमे दिखते हैं। रेलवे स्टेषन में प्यासे यात्रियों को पानी पिलाने का सिलसिला 30 बरसों से चला आ रहा है। प्यासे यात्रियों को पेयजल पिलाने के दौरान वे कई बार स्टेषन में बेहोष हो चुके हैं। अनके बार तबियत भी बिगड़ चुकी है, फिर भी समाजसेवा की दिषा में उनके कदम थम नहीं रहे हैं। जांजगीर-नैला में जब भी कोई समाजसेवा का कार्य होता है तो वहां अपनी सहभागिता निभाने में गोविंदराम पीछे नहीं होते, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी की समाजसेवा के लक्ष्य को लेकर हमेषा लोगों को खुद ही आगे बढ़कर सहयोग करते हैं।
देष के विकास और उत्थान में पूर्व शास्त्री के कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके सद्कार्य को आत्मसात कर जिस तरह गोविंदराम सोनी भी उनके नक्षे-कदम पर चल रहे हैं, वह बताने के लिए काफी है कि शास्त्री के सद्कार्य की छाप हमेषा कायम रहेगी। सन् 65 से जो उन्होंने शास्त्री जी के विचारों को अपने मन में रमाया है, वह अनवरत आज भी जारी है। निरंतर आज भी वे हर दिन पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री की पूजा में रत नजर आते हैं और उनके आह्वान को आज भी आत्मसात करके रखे हुए हैं।
समाजसेवी गोंविदराम सोनी की दिनचर्या में शामिल है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री के तैलचित्र के समक्ष पूजा कर दिन की शुरूआत करते हैं। भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद देष में अन्न की कमी हुई और शास्त्री ने जिस तरह देषवासियों से हर सोमवार को उपवास का आह्वान किया, उसी तरह लोगों ने भी उनके आह्वान को अपने जीवन में उतार लिया।
उस समय तो देष की गरीबी और भुखमरी से निपट लिया गया, लेकिन आज देष में बनिस्मत उससे कम पर, उसी तरह के हालात हैं। देष के लाखों लोगों को आज भी भर पेट भोजन नसीब नहीं होता। ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री के ‘उपवास’ के आह्वान को जगाने की जरूरत बनी हुई है, ताकि जिन गरीबों के भूखे पेट तक अन्न का दाना नहीं पहुंच रहा है, उनका भी पेट भर सके। इस दिषा में समाजसेवी गोविंदराम चाहते हैं कि शास्त्री जी के आह्वान को एक बार फिर आत्मसात किया जाए, ताकि किसी गरीब को भूखे पेट न रहना पड़े। उनका यह भी कहना है कि शास्त्री जी के कहे अनुसार जीवन जीएं और उपवास करना चाहिए। वे एक सच्चे प्रधानमंत्री थे। उनके मार्गदर्षन में चलने से देष में अन्न की बचत होगी और कुपोषण दूर होगा। साथ ही शरीर के लिए भी अच्छा है। उपवास करने से शक्ति मिलती है।
खास बात यह है कि समाजसेवी गोविंदराम, आरएसएस के बचपन से स्वयंसेवक है, मगर उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री की देष के प्रति किए किए कार्य इस कदर भा गए कि वे आज हर दिन उनका ‘नाम’ रमते हैं। वे कहते हैं कि पार्टी कोई भी हो, सभी को मिलकर देषसेवा करना चाहिए और देष के विकास में दिषा में अग्रसर करना चाहिए।
समाजसेवी गोविंदराम के जनसेवा के कार्यों से उनके बेटे प्रदीप सोनी भी अभिभूत नजर आते हैं। उनके मुताबिक, बचपन से ही वे अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री की पूजा करते आते देख रहे हैं और उनके विचारों के बारे में सुनते आ रहे हैं। उन्हें अच्छा लगता है कि पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी के प्रति अटूट सम्मान है। उनके पिता हमेषा सीख देते थे कि हर व्यक्ति को समाज और देष के विकास में योगदान देते हुए हमेषा जागरूक रहना चाहिए। ‘उपवास’ भी देष सेवा में बड़ा योगदान माना जा सकता है, क्योकि देष में अन्न की बचत होती है।
एक तरफ देष के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, देष को विकास की डगर में ऊंचाई पर ले जाने, देषवासियों से हर मुद्दे पर जुड़कर कार्य करने आह्वान कर रहे हैं, ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी के ‘उपवास’ के आह्वान को भी देषहित में करोड़ों भारतीयों से जोड़ने का प्रयास होना चाहिए। ऐसे में ‘उपवास’ से देष में एक दिन में ही बड़े पैमाने पर अन्न की बचत होगी और निष्चित ही देष को ऊंचाई पर ले जाने की दिषा में यह पहल काफी मददगार साबित हो सकती है, क्योंकि हिन्दुस्तान जैसे विषाल देष में गरीबी एक बड़ी समस्या है। देष की सबसे बड़ी समस्या से निपटने ‘उपवास’ का आह्वान, हिन्दुस्तान को दुनिया के नक्षे में पहुंचाने में बड़ा कदम साबित होगा।
दरअसल, सन् 65 में जब भारत का पाकिस्तान से युद्ध हुआ, उस दौरान देष में अनाज की कमी हो गई थी। इस समय पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी ने देष के लोगों को हर सोमवार को उपवास करने का आह्वान किया, ताकि देष में अन्न की बचत हो और जिन लोगों को भोजन नहीं मिल रहा था, उन्हें भोजन मिल सके। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की यही बात, समाजसेवी गोविंदराम सोनी के मन में समा गई और उन्होंने भी उनके विचारों को समाज के हर वर्ग के लोगों को आगे बढ़ाने की दिषा में कार्य करना शुरू कर दिया।
जांजगीर-नैला में समाजसेवी गोविंदराम की समाजसेवा का बखान करना, एक तरह से सूरज को दीपक दिखाने जैसा ही होगा। वे कभी गरीब बच्चों को पढ़ाने में में रत नजर आते हैं तो गर्मी के दिनों में रेलवे स्टेषन में प्यासे यात्रियों को पानी पिलाकर उनकी प्यास बुझाने में रमे दिखते हैं। रेलवे स्टेषन में प्यासे यात्रियों को पानी पिलाने का सिलसिला 30 बरसों से चला आ रहा है। प्यासे यात्रियों को पेयजल पिलाने के दौरान वे कई बार स्टेषन में बेहोष हो चुके हैं। अनके बार तबियत भी बिगड़ चुकी है, फिर भी समाजसेवा की दिषा में उनके कदम थम नहीं रहे हैं। जांजगीर-नैला में जब भी कोई समाजसेवा का कार्य होता है तो वहां अपनी सहभागिता निभाने में गोविंदराम पीछे नहीं होते, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी की समाजसेवा के लक्ष्य को लेकर हमेषा लोगों को खुद ही आगे बढ़कर सहयोग करते हैं।
देष के विकास और उत्थान में पूर्व शास्त्री के कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके सद्कार्य को आत्मसात कर जिस तरह गोविंदराम सोनी भी उनके नक्षे-कदम पर चल रहे हैं, वह बताने के लिए काफी है कि शास्त्री के सद्कार्य की छाप हमेषा कायम रहेगी। सन् 65 से जो उन्होंने शास्त्री जी के विचारों को अपने मन में रमाया है, वह अनवरत आज भी जारी है। निरंतर आज भी वे हर दिन पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री की पूजा में रत नजर आते हैं और उनके आह्वान को आज भी आत्मसात करके रखे हुए हैं।
समाजसेवी गोंविदराम सोनी की दिनचर्या में शामिल है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री के तैलचित्र के समक्ष पूजा कर दिन की शुरूआत करते हैं। भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद देष में अन्न की कमी हुई और शास्त्री ने जिस तरह देषवासियों से हर सोमवार को उपवास का आह्वान किया, उसी तरह लोगों ने भी उनके आह्वान को अपने जीवन में उतार लिया।
उस समय तो देष की गरीबी और भुखमरी से निपट लिया गया, लेकिन आज देष में बनिस्मत उससे कम पर, उसी तरह के हालात हैं। देष के लाखों लोगों को आज भी भर पेट भोजन नसीब नहीं होता। ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री के ‘उपवास’ के आह्वान को जगाने की जरूरत बनी हुई है, ताकि जिन गरीबों के भूखे पेट तक अन्न का दाना नहीं पहुंच रहा है, उनका भी पेट भर सके। इस दिषा में समाजसेवी गोविंदराम चाहते हैं कि शास्त्री जी के आह्वान को एक बार फिर आत्मसात किया जाए, ताकि किसी गरीब को भूखे पेट न रहना पड़े। उनका यह भी कहना है कि शास्त्री जी के कहे अनुसार जीवन जीएं और उपवास करना चाहिए। वे एक सच्चे प्रधानमंत्री थे। उनके मार्गदर्षन में चलने से देष में अन्न की बचत होगी और कुपोषण दूर होगा। साथ ही शरीर के लिए भी अच्छा है। उपवास करने से शक्ति मिलती है।
खास बात यह है कि समाजसेवी गोविंदराम, आरएसएस के बचपन से स्वयंसेवक है, मगर उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री की देष के प्रति किए किए कार्य इस कदर भा गए कि वे आज हर दिन उनका ‘नाम’ रमते हैं। वे कहते हैं कि पार्टी कोई भी हो, सभी को मिलकर देषसेवा करना चाहिए और देष के विकास में दिषा में अग्रसर करना चाहिए।
समाजसेवी गोविंदराम के जनसेवा के कार्यों से उनके बेटे प्रदीप सोनी भी अभिभूत नजर आते हैं। उनके मुताबिक, बचपन से ही वे अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री की पूजा करते आते देख रहे हैं और उनके विचारों के बारे में सुनते आ रहे हैं। उन्हें अच्छा लगता है कि पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी के प्रति अटूट सम्मान है। उनके पिता हमेषा सीख देते थे कि हर व्यक्ति को समाज और देष के विकास में योगदान देते हुए हमेषा जागरूक रहना चाहिए। ‘उपवास’ भी देष सेवा में बड़ा योगदान माना जा सकता है, क्योकि देष में अन्न की बचत होती है।
एक तरफ देष के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, देष को विकास की डगर में ऊंचाई पर ले जाने, देषवासियों से हर मुद्दे पर जुड़कर कार्य करने आह्वान कर रहे हैं, ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी के ‘उपवास’ के आह्वान को भी देषहित में करोड़ों भारतीयों से जोड़ने का प्रयास होना चाहिए। ऐसे में ‘उपवास’ से देष में एक दिन में ही बड़े पैमाने पर अन्न की बचत होगी और निष्चित ही देष को ऊंचाई पर ले जाने की दिषा में यह पहल काफी मददगार साबित हो सकती है, क्योंकि हिन्दुस्तान जैसे विषाल देष में गरीबी एक बड़ी समस्या है। देष की सबसे बड़ी समस्या से निपटने ‘उपवास’ का आह्वान, हिन्दुस्तान को दुनिया के नक्षे में पहुंचाने में बड़ा कदम साबित होगा।