
अक्सर कहा जाता है कि कलम की धार, तलवार से भी तेज होती है। जांजगीर में घूम रहे इस मंदबुद्धि के व्यक्ति का कलम के प्रति लगाव है और वह कुछ लिखने की चाहत लिए बैठा है। ऐसे में समझा जा सकता है कि कोई भी परिस्थिति में कलम की ताकत कम नहीं हो सकती है। मंदबुद्धि होने के कारण यह व्यक्ति सब कुछ तो भूला चुका लगता है, लेकिन उसका कलम के प्रति लगाव बरकरार है। यह कई मायनों में अहम है और समाज को संदेश देता है।
3 comments:
संभव है लेखन भी कुछ सार्थक/रुचिकर कर रहा हो, वह.
मन्द्ब बुद्धि के होने पर भी वह बुद्धि वालो से ज्यादा विचार वान लग्ता है,
कलम सृजन के लिए उद्वेलित करती है।
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