Saturday, July 19, 2008

तीसरी पास, रच दिया इतिहास

जि‍ले के पामगढ वि‍धानसभा क्षेत्र के ग्राम बेल्‍हा खरौद नि‍वासी कोमल प्रसाद कुर्मी ने हि‍न्‍दी में रचि‍त श्रीमद भागवत कथा को छत्‍तीसगढी में अनुवाद करके छत्‍तीसगढी साहि‍त्‍य के क्षेत्र में एक नये अध्‍याय की शुरूआत की है।
महज तीसरी तक पढे 65 वर्षीय कोमल प्रसाद ने आर्थि‍क वि‍पत्रता के बाद न केवल श्रीमद भागवत कथा को छत्‍तीसगढी में रूपांति‍रत कि‍या है वरन उन्‍होंने इसका 588 पृष्‍ठ के पुस्‍तकाकार रूप में प्रकाशन भी कराया है। हालांकि‍ धन के अभाव में छपाई में कई खामी है मगर इससे उनके प्रयास को कम करके नहीं आंका जा सकता। उन्‍होनें बताया कि‍ उन्‍होंने आज से दस वर्ष पूर्व 1995 में कापी में सरसरी तौर पर छत्‍तीसगढी श्रीमद भागवत कथा लि‍खकर शि‍वरीनारायण स्‍ि‍थत पूजा प्रि‍टिंग प्रेस में इसका प्रकाशन प्रारंभ कराने को दि‍या लेकि‍न आर्थि‍क अभाव के चलते इस वर्ष पुस्‍तक का प्रकाशन पूर्ण हो सका है। प्रकाशन के आरंभ से इसके अंति‍म रूप से प्रकाशन होने के बीच की अवधि‍ में उन्‍हें काफी आर्थि‍क परेशानि‍यों का सामना करना पडा। इस कठि‍न समय में भी पुस्‍तक के प्रकाशन में उन्‍हें परि‍वार के सभी सदस्‍यों का पूर्ण सहयोग का पूर्ण सहयोग प्राप्‍त हुआ। उन्‍होंने बताया कि‍ हि‍न्‍दी श्रीमद भागवत कथा की तरह ही छत्‍तीसगढी में अनुवादि‍त श्रीमद भागवत में अनुवादि‍त श्रीमद भागवत कथा में 12 स्‍कंध एवं 339 अध्‍याय है। उन्‍होंने छत्‍तीसगढी श्रीमद भागवत कथा के अलावा महाभारत,रामायण शि‍वरीनारायण,बाजार से शि‍वरीनारायण के संदर्भ में सच्‍चाई की दुनि‍या गांधी जी की पूजा आदि‍ भी छत्‍तीसगढी में लि‍खी है जो अर्थाभाव के चलते अप्रकाशि‍त है। उन्‍होंने छत्‍तीसगढी में श्रीमद भागवत के अनुवाद के लि‍ए हि‍न्‍दी श्रीमद भागवत तथा सुखसागर से शब्‍दों का चयन कि‍या है। कुर्मी, छत्‍तीसगढी में वि‍भि‍न्‍न धामिर्‍क रचनाओं के लि‍खने की प्रेरणा के पीछे भगवान की भाक्‍ि‍त को प्रमुख कारण मानते है। उनके भरे पूरे परि‍वार में पत्‍नी,तीन पुत्रों एवं पुत्रवधूओं सहि‍त 19 सदस्‍य है जि‍सके कारण उनके समक्ष आर्थि‍क संकट हमेशा बांहें फैलाये खडा रहता है। यही कारण है कि‍ उनके द्वारा रचि‍त छत्‍तीसगढी श्रीमद भागवत कथा के प्रकाशन में करीब 9 वर्ष लग गये। हालांकि‍ उन्‍होंने कभी इससे हार नहीं मानी और मन में ठान लि‍या कि‍ चाहे कुछ भी हो वे पुस्‍तक का प्रकाशन अवश्‍य ही करायेंगे। उनके इसी साहस का ही परि‍णाम है कि‍ आज छत्‍तीसगढी में श्रीमद भागवत कथा का पुस्‍तक रूप में प्रकाशन संभव हो सका है। यह और बात है कि‍ धन के अभाव के कारण न तो छपाई अच्‍छी हो पाई है और न ही वे इसकी ज्‍यादा प्रति‍ प्रकाशि‍त करा पाये है। कुर्मी ने बताया कि‍ श्रीमद भागवत में ऋषि‍ सुखदेव मुनि‍ राजा परि‍क्षि‍त को लगातार 168 घंटे तक कथा का श्रवण कराते है जि‍सका पूर्ण वर्णन उनकी पुस्‍तक में कि‍या गया है। वे प्रति‍दि‍न सुबह शाम रामायण भागवत का वाचन करते है जि‍ससे उनको आत्‍मीय शांति‍ की प्राप्‍ि‍त होती है। कोमल प्रसाद कुर्मी द्वारा छत्‍तीसगढी में अनुवादि‍त भागवत कथा में 12 स्‍कंध का वर्णन है। इस प्रकार उन्‍होंने 12 स्‍कंधों का अलग अलग छत्‍तीसगढी में अनुवाद कि‍या है। कोमल प्रसाद कुर्मी ने 9 वर्षो की अथक मेहनत एवं लगन से छत्‍तीसगढी संस्‍कृति‍ में एक नवीन अध्‍याय जोडने की शुरूआत की है। अब राज्‍य शासन के संस्‍कृति‍ मंत्रालय से उनके प्रोत्‍साहन हेतु समुचि‍त पहल का लोग इंतजार कर रहे है।