भारतीय संस्कृति में दान को मानव जीवन का एक ध्येय माना जाता है। वैसे तो बहुत लोग कुछ न कुछ दान अपने जीवन में जरुर करते हैं। दान तब और अधिक महत्व का हो जाता है, जब इससे समाज को नई दिशा मिले।
ऐसा ही कुछ कर दिखाया है रायपुर जिले के अभनपुर विकासखंड के ग्राम लामा सिवनी निवासी बुधारू राम कोठारी की पत्नी श्रीमती लाहावती कोठारी ने। महिला को अबला समझने वाले लोगों के लिए लाहावती किसी मिसाल से कम नहीं है, जिन्होंने अपने दिवंगत पिता की याद में सरकारी उच्चतर माध्यमिक स्कूल में फर्नीचर व अन्य सामानों के लिए १० लाख रूपये दान में दी हैं। आज के इस आधुनिक समाज में लाहावती का यह प्रयास प्रेरणादायक है। खून पसीने की कमाई को लाहावती ने जिस ढंग से दान कर दी, यह कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है।
लामा सिवनी की लाहावती द्वरा गाँव के स्कूल के लिए जो प्रयास किया गया है, इस आने वाली पीढी जरुर याद रखेगी।
इतिहास को खंगालने पर दानवीरों की लम्बी फेहरिस्त है, इसमें दानवीर कर्ण का नाम सबसे ऊपर है। दानवीरों ने पर हित के लिए जो त्याग किए है, इससे समाज के उत्थान को नई दिशा जरुर मिली है। नई पीढी को जरुर सीख मिलेगी।
श्री बुधारू राम कोठारी व श्रीमती लाहावती कोठारी द्वारा समाज ही में दान देकर दिखाई गई दरियादीली को सलाम...
आशा है की इस पहल से नई पीढी को सकारात्मक दिशा में जाने की सीख मिलेगी।
रायपुर, नवभारत का साभार
२३ अगस्त २००९ को प्रकाशित ख़बर का अंश
Sunday, August 23, 2009
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3 comments:
सराहनीय एवं अनुकरणीय कदम. गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनांए.
rha tha sirr
aap hi ko yad ka raha thaa sahu jee
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